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बहुत हुआ ये रूठना- मनाना, चलो अब मिलने की बात करते

बहुत हुआ ये रूठना- मनाना,
चलो अब मिलने की बात करते हैं,
बता दूं तुम्हारे सहर में हूं मैं,
चलो इस्तकबाल की बात करते हैं।
ऐलान गर मुनासिब हो,
चलो इस्तेहार की बात करते हैं।
गर ये जुंबिस माफ हो,
चलो इंतजाम की बात करते हैं,
अस्काम बहुत हैं मुझमें,
चलो दारू पर बात करते हैं,
बाकी कुछ बचा नहीं अब,
चलो एक बार बात करते हैं।
उम्र गुजरी है अंधियारों में,
वो चरागों की बात करते हैं,
जब मैं रहा नहीं इस दुनिया में,
वो दीदार की बात करते हैं।
अच्छाई का जमाना नहीं ए दोस्त,
वो अस्काम की बात करते हैं।
मैं उनके बारे में बात करता रहा,
वो दुनिया भर की बात करते हैं।

©KumarGaurav
  #baat_krte_hain!
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KumarGaurav

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