तेरे लबों की खिलखिलाहट , तेरी आंखों की मस्ती , तेरे चेहरे की मासूमियत , तेरी घनी जुल्फ़ों के वो पेंच ये सब कितने हसीं हैं... ....कितने हसीं हैं तुझे दिल भर के देखूं.. ..फ़िर भी ये दिल ना भरे तू कितनी लाज़वाब... ......कितनी मेहज़बीं है और ख़ुदा कुछ ऐसा करे.. ... के उम्र भर बस तुझे ही देखता रहूं.. ..... ख़ुदा कुछ ऐसा करे के.. ....सारी उम्र बस तुझे ही निहारता रहूं तेरी चांदनी सी खूबसरती देख.. ... मन ही मन मुस्कुराता रहूं और जब उम्र गुजरने में हो.... .....तू मेरे सामने हो आखरी बार तुझे देखूं... ....और आहिस्ता आहिस्ता.. ...तुझ पे जान निसार-ता रहूं तेरे लबों की खिलखिलाहट , तेरी आंखों की मस्ती , तेरे चेहरे की मासूमियत , तेरी घनी जुल्फ़ों के वो पेंच ये सब कितने हसीं हैं... ....कितने हसीं हैं तुझे दिल भर के देखूं.. ..फ़िर भी ये दिल ना भरे