एक एहसास हुआ ऐसा मन को सब साथ भी थे एकान्त मे हम सबने मिलकर दी सौगातें फिर खुश मन से क्लान्त थे हम क्यूँ लगा मुझे ऐसा जैसे सब हाजरी अपनी दे रहे मन था सभी का और कहीं भ्रान्त थे हम क्यूँ हो रहा ऐसा अब तो कहने को बहुत अच्छे हो जब मिलने की नौबत आई शान्त थे हम चलो सबकी दुनियाँ है सब खुशी खुशी जियें अपनी हम तो बस सौदागर से वृतान्त थे हम क्यूँ ना जाने सब थे साथ मगर एकान्त थे हम