..तुम क्या जानोगे .. कितना तड़प रहे हैं हम .. ...तुम क्या जानोगे..। ना भूख-प्यास मालूम पड़ रहा.. ना सुबह चल रही और ना शाम ढल रहा... फिर भी में बस तुम्हारी ही राह ताक रहा .... ..तुम क्या जानोगे ..। ना हंसी आ रही ना रोना आ रहा .. ना कोई बदबू ना ही कोई खुशबू हो रहा ... कैसे बस आपके ही खयालों ये दिन जा रहा... ...तुम क्या जानोगे..। ..तुम क्या जानोगे ..