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..तुम क्या जानोगे .. कितना तड़प रहे हैं हम .. ...त

..तुम क्या जानोगे ..
कितना तड़प रहे हैं हम ..
...तुम क्या जानोगे..।
ना भूख-प्यास मालूम पड़ रहा..
ना सुबह चल रही और ना शाम ढल रहा...
फिर भी में बस तुम्हारी ही राह ताक रहा ....
..तुम क्या जानोगे ..।
ना हंसी आ रही ना रोना आ रहा ..
ना कोई बदबू ना ही कोई खुशबू हो रहा ...
कैसे बस आपके ही खयालों ये दिन जा रहा...
...तुम क्या जानोगे..। ..तुम क्या जानोगे ..
..तुम क्या जानोगे ..
कितना तड़प रहे हैं हम ..
...तुम क्या जानोगे..।
ना भूख-प्यास मालूम पड़ रहा..
ना सुबह चल रही और ना शाम ढल रहा...
फिर भी में बस तुम्हारी ही राह ताक रहा ....
..तुम क्या जानोगे ..।
ना हंसी आ रही ना रोना आ रहा ..
ना कोई बदबू ना ही कोई खुशबू हो रहा ...
कैसे बस आपके ही खयालों ये दिन जा रहा...
...तुम क्या जानोगे..। ..तुम क्या जानोगे ..
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Tsen Meher

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