मुसलसल होती हमारी मुलाक़ातों का दौर जब थमा था, उन दिनों मैं तारों के बीच चाँद जैसा तन्हा था. तन्हाई के एक छोर पे तुम दिखती थी, दूजे छोर पे यादों का मेला लगा था. महफूज़ रखने को तुम्हें, मैं तुम ही से लड़ा था, ये ओर बात है कि इसका हश्र हुआ बहुत बुरा था. धीमे-धीमे चाँद पर भी ग्रहण लग गया था, रिश्ता चाँद संग आसमां का रह गया अधूरा था. "मैंने इक बात छुपाई तुमसे" ये ही चाँद न कह पाया था, आसमां ने सच जान, चाँद पर एक सच्चा- बाकी झूठा आरोप लगाया था. अब आसमां का उस चाँद से कोई ताल्लुक न है, चाँद तो फिर भी आसमां पे ही फ़ना है... हम चाह कर भी बहुत सी बातें बता नहीं पाते, लेकिन लिख ज़रूर सकते हैं। #बातछुपाई #collab #yqdidi .... भाषा एवं साहित्य के प्रसार के लिए हमारा एक और विनम्र प्रयास YQ Sahitya। ज़रूर फ़ॉलो करें। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #marchdiaries #vineetvicky #आसमां #चाँद