सर्दी की तन्हा रातों का उस कम्बख्त की यादों का माथे पर उसके काली बिन्दी का कोई तोड़ नहीं हर मौसम चाय का बिन मौसम बारिश का मिर्जा साहब के शेरों का कोई तोड़ नहीं #mirzaghalibsahab