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किसी विषय से चित्त में जो खेद या कष्ट होता है वही

किसी विषय से चित्त में जो खेद या कष्ट होता है वही दुःख हे । इसी दुःख सें द्वेष उत्पन्न होता है । जब किसी विषय से चित्त को दुःख होगा होगा तब उससे द्वेष उत्पन्न होगा । योग परिणाम, ताप और संस्कार तीन प्रकार के दुःख मानकर सब वस्तुओं को दुःखमय कहना है ।

©Ravi Shankar Kumar Akela 
  #TereHaathMein किसी विषय से चित्त में जो खेद या कष्ट होता है वही दुःख हे । इसी दुःख सें द्वेष उत्पन्न होता है । जब किसी विषय से चित्त को दुःख होगा होगा तब उससे द्वेष उत्पन्न होगा । योग परिणाम, ताप और संस्कार तीन प्रकार के दुःख मानकर सब वस्तुओं को दुःखमय कहना है ।

#TereHaathMein किसी विषय से चित्त में जो खेद या कष्ट होता है वही दुःख हे । इसी दुःख सें द्वेष उत्पन्न होता है । जब किसी विषय से चित्त को दुःख होगा होगा तब उससे द्वेष उत्पन्न होगा । योग परिणाम, ताप और संस्कार तीन प्रकार के दुःख मानकर सब वस्तुओं को दुःखमय कहना है । #समाज

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