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जनता जनार्दन की आवाज कमर तोड़ती महंगाई में, दूभर

जनता जनार्दन की आवाज

कमर तोड़ती महंगाई में, दूभर हुआ चलाना घर।
नीम के पेड़ करेले जैसे, मार रहे ऊपर से कर।
अब निर्धन का आगे होगा, जीवन यापन कैसे।
दब जाएगा बोझ तले जब, पांच गुना ग्रह कर से।
न्यायप्रियता के लिए बने तुम, हम सब की अभिलाषा।
जनहित कारी समाधान की, तुमसे पूरी आशा।
सियासत बाजों के चक्कर में, बीते साल बहत्तर।
लगे चीखने खत्म हुई ज्यों, धारा तीन सौ सत्तर।
हिम्मत और हौसला रखें, अभी तो बस अंगड़ाई है।
पाक अधिकृत कश्मीर की, आगे और लड़ाई है।
यह संकल्प लिए है हमने, दुश्मन को अब ना बक्सेंगे।
यदि लापा आलाप दोबारा, पथिक POK भी छीनेंगे।
     आर. वी. सिंह जनता जनार्दन की आवाज
By R. V. Singh
जनता जनार्दन की आवाज

कमर तोड़ती महंगाई में, दूभर हुआ चलाना घर।
नीम के पेड़ करेले जैसे, मार रहे ऊपर से कर।
अब निर्धन का आगे होगा, जीवन यापन कैसे।
दब जाएगा बोझ तले जब, पांच गुना ग्रह कर से।
न्यायप्रियता के लिए बने तुम, हम सब की अभिलाषा।
जनहित कारी समाधान की, तुमसे पूरी आशा।
सियासत बाजों के चक्कर में, बीते साल बहत्तर।
लगे चीखने खत्म हुई ज्यों, धारा तीन सौ सत्तर।
हिम्मत और हौसला रखें, अभी तो बस अंगड़ाई है।
पाक अधिकृत कश्मीर की, आगे और लड़ाई है।
यह संकल्प लिए है हमने, दुश्मन को अब ना बक्सेंगे।
यदि लापा आलाप दोबारा, पथिक POK भी छीनेंगे।
     आर. वी. सिंह जनता जनार्दन की आवाज
By R. V. Singh