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जिन्दगी में मेले या तो झमेले है, यहाँ इंसान अदंर स

जिन्दगी में मेले या तो झमेले है,
यहाँ इंसान अदंर से अकेले है.

क्यों बोझ बन जाते है झुके हुए कंधे,
जिन पर चढ़कर अक्सर मेला देखा करते थे.

क्यूं बोझ हो जाते है वो झुके हुए कंधे साहब,
जिन पर चढ़कर तुम कभी मेला देखा करते थे।

©Raj Kale
  #mela shayari
rajkale8535

Raj Kale

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#mela shayari

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