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ज़ख़्म दिलों के, छुपे हुए हैं मेरे आँसूओ मे, दर्


ज़ख़्म दिलों के,
छुपे हुए हैं मेरे आँसूओ मे, 
दर्द को कितना ही छुपाना चाहो दिल मे, 
लेकिन आँखों से तो अश्क बह ही जाते हैं। 

ज़ख्म उसके चुभते हैं इस दिल को, 
ना मिल सका हमे हमारा इश्क़, 
ना ही मिली वो, 
मिला तो सिर्फ बेशुमार दर्द। 

मसला मेरे सच्चे प्यार का था, 
इसीलिए हसते हसते जाने दिया उसे, 
ग़र ज़िद वो होती मेरी, 
तो आज मेरी जिंदगी में होती। 

ज़ख्मों को गले लगा कर, 
जी रहे हैं हम आज, 
ढूँढ रहे हैं दरबदर आज,
मेरे मर्ज का इलाज। 

-Nitesh Prajapati 






 ♥️ Challenge-962 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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ज़ख़्म दिलों के,
छुपे हुए हैं मेरे आँसूओ मे, 
दर्द को कितना ही छुपाना चाहो दिल मे, 
लेकिन आँखों से तो अश्क बह ही जाते हैं। 

ज़ख्म उसके चुभते हैं इस दिल को, 
ना मिल सका हमे हमारा इश्क़, 
ना ही मिली वो, 
मिला तो सिर्फ बेशुमार दर्द। 

मसला मेरे सच्चे प्यार का था, 
इसीलिए हसते हसते जाने दिया उसे, 
ग़र ज़िद वो होती मेरी, 
तो आज मेरी जिंदगी में होती। 

ज़ख्मों को गले लगा कर, 
जी रहे हैं हम आज, 
ढूँढ रहे हैं दरबदर आज,
मेरे मर्ज का इलाज। 

-Nitesh Prajapati 






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