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*सीतारामगुणग्रामपुण्यारण्यविहारिणौ। वन्द











*सीतारामगुणग्रामपुण्यारण्यविहारिणौ।
वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कवीश्वरकपीश्वरौ॥
भावार्थ:-श्री सीतारामजी के गुणसमूह रूपी पवित्र वन में विहार करने वाले,
 विशुद्ध विज्ञान सम्पन्न कवीश्वर श्री वाल्मीकिजी और कपीश्वर,
 श्री हनुमानजी की मैं वन्दना करता हूँ॥

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