दोस्ती के नाम पर छलकाए थे कभी जो तुमने
महफिल लगते ही वह जाम निकल आता है ।
हाँ दिल की तमन्ना तो कभी पूरी नहीं होती
है सब्र ओ शुक्र तो इनाम निकल आता है ।
अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना
पतझड़ के गुजरते ही शजर पे फूल निकल आता है ।
कुछ तो बात है तुझ में तेरी इस शख्सियत में यार
कि अक़्सर ज़िक्र करते ही तेरा नाम निकल आता है। #पंछी#सुप्रभातम#पाठकपुराण#येरंगचाहतोंके