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अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना पतझड़ के

अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना
पतझड़ के गुजरते ही शजर पे फूल निकल आता है । दोस्ती के नाम पर छलकाए थे कभी जो तुमने
महफिल लगते ही वह जाम निकल आता है ।
हाँ दिल की तमन्ना तो कभी पूरी नहीं होती
है सब्र ओ शुक्र तो इनाम निकल आता है ।
अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना
पतझड़ के गुजरते ही शजर पे फूल निकल आता है ।
कुछ तो बात है तुझ में तेरी इस शख्सियत में यार
कि अक़्सर ज़िक्र करते ही तेरा नाम निकल आता है।
अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना
पतझड़ के गुजरते ही शजर पे फूल निकल आता है । दोस्ती के नाम पर छलकाए थे कभी जो तुमने
महफिल लगते ही वह जाम निकल आता है ।
हाँ दिल की तमन्ना तो कभी पूरी नहीं होती
है सब्र ओ शुक्र तो इनाम निकल आता है ।
अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना
पतझड़ के गुजरते ही शजर पे फूल निकल आता है ।
कुछ तो बात है तुझ में तेरी इस शख्सियत में यार
कि अक़्सर ज़िक्र करते ही तेरा नाम निकल आता है।

दोस्ती के नाम पर छलकाए थे कभी जो तुमने महफिल लगते ही वह जाम निकल आता है । हाँ दिल की तमन्ना तो कभी पूरी नहीं होती है सब्र ओ शुक्र तो इनाम निकल आता है । अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना पतझड़ के गुजरते ही शजर पे फूल निकल आता है । कुछ तो बात है तुझ में तेरी इस शख्सियत में यार कि अक़्सर ज़िक्र करते ही तेरा नाम निकल आता है। #पंछी #सुप्रभातम #पाठकपुराण #येरंगचाहतोंके