मैं टूटी हुई भाषा को अर्थ दे सकती हूँ सुबह की शांति को शोर दे सकती हूँ मौन को तार - तार कर सकती हूँ स्वयं अपना आकाश बना सकती हूँ अपनी मंजिल भी तलाश कर सकती हूँ। मुझे कमजोर मत समझो ... मेरी हद मत बांधो ... मुझे कैद में मत रखो ... मेरे पंख मत काटो... मेरी दिशा मत बताओ... मुझे दूरी ना समझाओ... अपनी मंजिल भी तलाश कर सकती हूँ मैं आज की नारी हूंँ कहती हूंँ तो कर भी सकती हूँ... २०८/३६६ मैं आज की नारी हूँ। कोमल हूँ कमजोर नहीं। #नारी yreeta-lakra-9mba