हमने तुमसे कभी कुछ मांगा ही नहीं तो शिकवे शिकायत किस बात के हैं,,, या बदलना या बदलाव किस चीज का,,, ना तुम्हारा कभी वक्त मांगा,,, ना तुम्हारे कभी भाव मांगे,,, हम तो हर हाल में खुश है तुमसे तुम चुप हो तब भी मंजूरी है तुम बोलो तभी जी हजूरी है,,,, कुछ बातें हैं दिल से दिल तक की कुछ बातें हैं बस समझने की,,,,, सारा खेल समझने का है जो समझ जाए भाव वही इंसान है,,,,,