किसी राह में किसी मोड़ पर किसी के साथ साथ चलते रास्ता बदलने में कितनी देर लगती है एक सूरज को ताकते हुए धरती लंबा सफर तय करती है शाम को ढलने में कितनी देर लगती है मेहनत की चाभी से खुलता है किस्मत का ताला हाथों की लकीरों को बदलने में कितनी देर लगती है कुछ दिल बहलाने को पास आते है कुछ रिश्ता निभाने को पास आते है कठिन वक़्त में मित्र की पहचान करने में कितनी देर लगती है बिन बताएँ ही दिल में बना लेते हैं अपना घरौंदा उन्हें दिल से निकालने में....कितनी देर लगती है? वक़्त के बदलने में आदमी को ढलने में किसी के खोने में किसी के मिलने में कितनी देर लगती है? #कितनीदेर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi