सफर में कितने काफिले मिले महफिले सजी,,'दो कदम साथ चले, फिर तन्हा छोड़ गए सब, अपने में ही मसरूफ हैं,, जुड़ने के ना कोई दस्तूर है,, सबको यही गुरुर है,, खुद में ही भरपूर हैं,, किसी के साथ की जरूरत ना किसी से बात की जरूरत ना पर सच तो ये, सब भीतर से अकेले हैं,,,,, तनहाइयां भी रास आने लगे जब दुनियादारी समझ आने लगे,,,, OPEN FOR COLLAB✨ #ATमैंआजभीतन्हाहूँ • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨