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कन्या पुजन करने वालाें, कन्या का मान भी रखते हाे।

कन्या पुजन करने वालाें,
कन्या का मान भी रखते हाे।
या फिर मन मे रहता चाेर तुम्हारे
सामने माला जपते हाे।
ग्रस्ति करते त्रस्ति करे दमित उन्हें तुम करते हाे,
वह करती विश्वास तुम्हारा
भछित उन्हें तुम करते हाे। दुर्गा अष्टमी शरद नवरात्र की अष्टमी को कहते हैं । यह बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन माँ दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन होता है। महागौरी जिन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। कथा है कि भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इन्होंने कठोर तपस्या की जिस से इनका शरीर काला पड़ गया। देवी की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और देवी के शरीर को गंगाजल से धोते हैं तब देवी कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से इनका नाम गौरा पड़ा। 

गौर का अर्थ होता है सफ़ेद, गोरा।

आज के दिन कन्या पूजन का विधान है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं मगर अष्टमी को इसका विशेष महत्व है। 

आप सभी को दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। आपके नवरात्र मंगलमय हों।
कन्या पुजन करने वालाें,
कन्या का मान भी रखते हाे।
या फिर मन मे रहता चाेर तुम्हारे
सामने माला जपते हाे।
ग्रस्ति करते त्रस्ति करे दमित उन्हें तुम करते हाे,
वह करती विश्वास तुम्हारा
भछित उन्हें तुम करते हाे। दुर्गा अष्टमी शरद नवरात्र की अष्टमी को कहते हैं । यह बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन माँ दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन होता है। महागौरी जिन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। कथा है कि भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इन्होंने कठोर तपस्या की जिस से इनका शरीर काला पड़ गया। देवी की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और देवी के शरीर को गंगाजल से धोते हैं तब देवी कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से इनका नाम गौरा पड़ा। 

गौर का अर्थ होता है सफ़ेद, गोरा।

आज के दिन कन्या पूजन का विधान है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं मगर अष्टमी को इसका विशेष महत्व है। 

आप सभी को दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। आपके नवरात्र मंगलमय हों।
mamtasingh9974

Mamta Singh

Bronze Star
New Creator

दुर्गा अष्टमी शरद नवरात्र की अष्टमी को कहते हैं । यह बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन माँ दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन होता है। महागौरी जिन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। कथा है कि भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इन्होंने कठोर तपस्या की जिस से इनका शरीर काला पड़ गया। देवी की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और देवी के शरीर को गंगाजल से धोते हैं तब देवी कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से इनका नाम गौरा पड़ा। गौर का अर्थ होता है सफ़ेद, गोरा। आज के दिन कन्या पूजन का विधान है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं मगर अष्टमी को इसका विशेष महत्व है। आप सभी को दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। आपके नवरात्र मंगलमय हों। #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #durgaashtami #दुर्गाअष्टमी