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एक बूँद रोश्नी की, पकड़ने चला हूँ मैं। मुश्किल है

एक बूँद रोश्नी की,
पकड़ने चला हूँ मैं।
मुश्किल है मगर,
पर करने चला हूँ मैं।
माना दूर है वो बहुत मुझसे,
पर पास करने चला हूँ मैं।
अँधेरे सब फैलाते यहाँ,
मैं रोश्नी लाने,
बताइए क्या गलत करने 
चला हूँ मैं !

©Bharat Bhushan pathak
  #Ambitions 
एक बूँद रोश्नी की,
पकड़ने चला हूँ मैं।
मुश्किल है मगर,
पर करने चला हूँ मैं।
माना दूर है वो बहुत मुझसे,
पर पास करने चला हूँ मैं।
अँधेरे सब फैलाते यहाँ,

#Ambitions एक बूँद रोश्नी की, पकड़ने चला हूँ मैं। मुश्किल है मगर, पर करने चला हूँ मैं। माना दूर है वो बहुत मुझसे, पर पास करने चला हूँ मैं। अँधेरे सब फैलाते यहाँ, #Poetry

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