जिस भी पथ पर हम रोज चलें। एक नया दर्शन खोज चलें। सुख-दुख जीवन के अंग सदा। बदलें अपना यह रंग सदा। जब धन जाता है साथ नहीं। रहता कुछ भी है हाथ नहीं। फिर चलता काम सताना क्यों? पैसों का जोड़ - घटाना क्यों? #पादाकुलक_छंद #जीवनपथ #विश्वासी