आखिर कब तक ....??? एक बार फिर हैवानियत फिर नापाक हुई इंसानियत इंसान ही हो न तुम ? फिर क्यों बने हो हैवान हर बार एक नया चेहरा हर बार एक नया मोहरा और फिर ये सब आखिर कब तक..? कुछ मोमबत्ती जली और बुझ गयी और फिर कुछ दिन तक चेतना मर गयी तुम जब तक खुद में नही जागोगे ऐसे हैवानों को खुद नही रोकोगे होते रहेंगे ये अपराध होता रहेगा दरिंदगी से इंसानियत पर आघात आखिर कब तक यू चुप बैठोगे दूसरों पर अत्याचार को कब तक देखोगे आखिर कब तक.....😢😠😡 #इंसानी_मुखौटा