मेरा ये गम तुझे भी तड़पायेगा कफ़स मे क़ैद परिंदा मुस्कुरायेगा नफ़स को तेरी भी सुकूं न आयेगा ख़्वाबों मे मेरा ही अक्स नजर आयेगा सूख जायेंगे अश्क़ रेगिस्तान की तरह बरसात का न मौसम नज़र आयेगा पूछोगे सवाल ख़ुद से कई मर्तबा जवाब न कोई नज़र आयेगा सबकुछ होगा पास तेरे यही कही पर कुछ न होने का गम सतायेगा पूछोगे जब ख़ुदा से वज़ह इसकी हर तरफ़ ये गमज़दा चेहरा नज़र आयेगा #Poetry#Shayari#Love#Pain