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पर, शिशु का क्या हाल, सीख पाया न अभी जो आंसू पीना

पर, शिशु का क्या हाल, सीख पाया न अभी जो आंसू पीना ?
चूस-चूस सुखा स्तन माँ का सो जाता रो-विलप नगीना।

विवश देखती माँ, अंचल से नन्ही जान तड़प उड़ जाती,
अपना रक्त पिला देती यदि फटती आज वज्र की छाती।

कब्र-कब्र में अबुध बालकों की भूखी हड्डी रोती है,
'दूध-दूध !' की कदम कदम पर सारी रात सदा होती है।

'दूध-दूध !' ओ वत्स ! मंदिरों में बहरे पाषाण यहाँ हैं,
'दूध-दूध !' तारे, बोलो, इन बच्चों के भगवान् कहाँ हैं ?

'दूध-दूध !' दुनिया सोती है, लाऊं दूध कहाँ, किस घर से ?
'दूध-दूध !' हे देव गगन के ! कुछ बूँदें टपका अम्बर से !



part 6 😍😍😍

#allalone  Lipsita Palei Arohi singh 🌿 anjali vinod sharma khubsurat Vishakha Sharma
पर, शिशु का क्या हाल, सीख पाया न अभी जो आंसू पीना ?
चूस-चूस सुखा स्तन माँ का सो जाता रो-विलप नगीना।

विवश देखती माँ, अंचल से नन्ही जान तड़प उड़ जाती,
अपना रक्त पिला देती यदि फटती आज वज्र की छाती।

कब्र-कब्र में अबुध बालकों की भूखी हड्डी रोती है,
'दूध-दूध !' की कदम कदम पर सारी रात सदा होती है।

'दूध-दूध !' ओ वत्स ! मंदिरों में बहरे पाषाण यहाँ हैं,
'दूध-दूध !' तारे, बोलो, इन बच्चों के भगवान् कहाँ हैं ?

'दूध-दूध !' दुनिया सोती है, लाऊं दूध कहाँ, किस घर से ?
'दूध-दूध !' हे देव गगन के ! कुछ बूँदें टपका अम्बर से !



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