ओछे की प्रीति, बालू की भीति ही बदले वक़्त इनके रंग बदल जाए सुख में साथ रहे तुम्हारे हमेशा वो दुख में अकेला छोड़ कर चले जाए जब चुभने लगेगी तुम्हारी खुशियाँ तो धोखे का नश्तर तुम्हें चुभो जाए इस ओछे की प्रीत से बचकर रहियो तकलीफ किसी से फिर कही न जाए दुनिया तुझे ही बदनाम करेगी अब नाम उसी का जगत में हो जाए ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_322 👉 ओछे की प्रीति, बालू की भीति लोकोक्ति का अर्थ ---- दुष्ट का प्रेम अस्थिर होता है। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।