सुबह होते ही हर रोज़ ख़ुशी का पैग़ाम आ जाता है। मैं उठता हूं कि स्क्रीन पर उसका नाम आ जाता है।। और गुफ़्तगू को, लफ़्ज़ कम पड़ते नहीं हैं उस को। पर कमबख़्त घर जाने का वक्त हर शाम आ जाता है।। जूड़ा भी पसंद है और उसकी लटें भी सुभानल्लाह। छुप के देखूं उन्हें तो सिर पर इलजाम आ जाता है।। और वक्त ही तो नहीं है, सूनी कलाइयों पर उस के। फ़िर भी बे-वक्त उसे याद कोई काम आ जाता है।। और इस भूलने की आदत का क्या करूं मैं श्यामल। अच्छी ख़ासी कन्वर्सेशन में भी विराम आ जाता है।। ©Shivank Shyamal #UskeHaath #shivanksrivastavashyamal #shivankshyamalquotes #shayari #ghazal #love #quotes #ishq सुबह होते ही हर रोज़ ख़ुशी का पैग़ाम आ जाता है। मैं उठता हूं कि स्क्रीन पर उसका नाम आ जाता है।। और गुफ़्तगू को, लफ़्ज़ कम पड़ते नहीं हैं उस को। पर कमबख़्त घर जाने का वक्त हर शाम आ जाता है।। जूड़ा भी पसंद है और उसकी लटें भी सुभानल्लाह। छुप के देखूं उन्हें तो सिर पर इलजाम आ जाता है।।