Nojoto: Largest Storytelling Platform

रफ्ता-रफ्ता बढ़ता जाता हूं, आखिर कैसी अकुलाहट है?

रफ्ता-रफ्ता बढ़ता जाता हूं,
आखिर कैसी अकुलाहट है?
है मन प्रसन्न चिंतातुर भी, 
यह कैसी उसकी आहट है?
मंजिल नहीं वहां पर कोई,
है भली-भांति यह ज्ञान मुझे,
स्वीकार न मुझको यह सच कड़वा, 
यह उनकी भी घबराहट है।
अरुण शुक्ल "अर्जुन"
प्रयागराज Aman kesharwani Ravi Khorwal  Gaurav Kukreti anddy dubey khushi  Rupam kumari  💐H@n$ik@💐 #pritam! ALi Ji Razvi Sarla singh  Sarmistha Das
रफ्ता-रफ्ता बढ़ता जाता हूं,
आखिर कैसी अकुलाहट है?
है मन प्रसन्न चिंतातुर भी, 
यह कैसी उसकी आहट है?
मंजिल नहीं वहां पर कोई,
है भली-भांति यह ज्ञान मुझे,
स्वीकार न मुझको यह सच कड़वा, 
यह उनकी भी घबराहट है।
अरुण शुक्ल "अर्जुन"
प्रयागराज Aman kesharwani Ravi Khorwal  Gaurav Kukreti anddy dubey khushi  Rupam kumari  💐H@n$ik@💐 #pritam! ALi Ji Razvi Sarla singh  Sarmistha Das