दुःख हो या सुख हो,छायी हो उदासी। कर्तव्य हम करें,भूलें न जरा सी। असल रूप ही रखें,मुखौटे सब व्यर्थ हैं। नकल है धोखा,वास्तविक अर्थ है। मन में बनते हैं ,बिगड़ते कई रूप। ईश्वर का मार्ग,सत्य शिव अनूप। जब तक चन्द्रमा,चांदनी की चमक। सूर्य से प्रकाशित,वस्तुओं की दमक। जब मूल न रहेगा,प्रतिबिंब नष्ट होगा। जड़ से सुरक्षित,हर बृक्ष पुष्ट होगा। #स्वरा #SKG रामचन्द्र शुक्ल। मुखौटे