भाग-1 मैं भीतर से अशक्त नहीं वस्तुतः किन्तु आपको दिख सकती हूँ ऐसी ही छलकाये अश्रु रो भी दिये हैं बहुधा शब्दों में भी संभवतः दिखा हो यही पृथक हटो कभी आप कभी परिस्थितियों ने कहा पर मैं कहकर भी कभी हट पायी नहीं सौ लांछन तुम पर लगा मुझसे दूर हुआ जग सारा और मैं उनसे दूर तुम्हारे क़रीब आती गयी मेरा प्रेम अवलंबित जिस पर वो सब झूठा ताश के पत्तों सा बिखेरने में लगे मुझे सभी समर्पण गुलामी स्वयं का अस्तित्व ह्रास करना मूर्खता है और इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं नहीं आया मुझे सत्य-असत्य का भेद करना अवास्तविक हूँ सही गलत भी समझती नहीं मैं प्यार के नाकाबिल,आया नहीं प्यार करना कहकर हँसे वो पर मैं टूटकर भी टूटी नहीं . क्यों?... क्रमशः... ©राजकुमारी #NojotoQuote क्यों... भाग-1 #nojoto #nojotohindi #nojotokavishala #quotes