टूटा हुआ फिर भी सुंदर है माँ के कमरे का आईना। बचपन की यादों का प्रतिबिंब है आज वो आईना। बिखरी हुई लटों का बार-बार उलझना याद है इसे। माँ की साड़ी में लिपट कर गिर जाना याद है इसे। वो माँ जैसा दिखने की चाहत में इसके साथ रहना। जब पत्तों की माला को पहना था समझ एक गहना। टूट गया हैं आईना मगर यादें नहीं बिखरी हैं अब तक। दिल के किसी कोने में रखा है सहेज जिसे अब तक। बिक जाएगा यह एक दिन किसी सामान की तरह। रहेगा टूटा हुआ आईना दिल के अभिमान की तरह। #cwpowrimo7 #cwpowrimo #cascadewriters #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त Cascade Writers