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आभ में तारा घणा पण चाँद कोनी दीखता ऊदेस लाख पण आस

आभ में तारा घणा पण चाँद कोनी
दीखता ऊदेस लाख पण आस कोनी
एकलो  ऊबो  अरकड़ो  तीर  माथे
देखतो उण  तीर  ऊबा  खेजड़ा ने
डाळियां दिन में रबारी छांग नाखी
डींगड़े  तुर्रा  सरीखी  डाळ  राखी
हीरां जड़ियो तरळ जळ लेवे हिलोळा
दे दिया सबने अँधारो स्याम चोळा
थिर थिरकती बायरा री  लेर चाले
काळी काळी डींगड़े री डाळ हाले
ठूँठ  ऊबो  कर उठायां  नीर आगे
इंव लखे करसो किपणियो मेह मांगे
तारां रो ऊजास घणो नी रोवण देला
पण अँधियारो रात रो नई सोवण देला।। #ठूंठ #एकलो एक राजस्थानी रचना
✍️jitendra shiva
आभ में तारा घणा पण चाँद कोनी
दीखता ऊदेस लाख पण आस कोनी
एकलो  ऊबो  अरकड़ो  तीर  माथे
देखतो उण  तीर  ऊबा  खेजड़ा ने
डाळियां दिन में रबारी छांग नाखी
डींगड़े  तुर्रा  सरीखी  डाळ  राखी
हीरां जड़ियो तरळ जळ लेवे हिलोळा
दे दिया सबने अँधारो स्याम चोळा
थिर थिरकती बायरा री  लेर चाले
काळी काळी डींगड़े री डाळ हाले
ठूँठ  ऊबो  कर उठायां  नीर आगे
इंव लखे करसो किपणियो मेह मांगे
तारां रो ऊजास घणो नी रोवण देला
पण अँधियारो रात रो नई सोवण देला।। #ठूंठ #एकलो एक राजस्थानी रचना
✍️jitendra shiva