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आँखों में दहकते ज्वाल नही , फितूर-ए-इश्क़ के अफसाने

आँखों में दहकते ज्वाल नही ,
फितूर-ए-इश्क़ के अफसाने है।
इस मुल्क में हो कैसे क्रांति की लहर,
यहाँ आज़ाद छोड़ करीना के दीवाने है ।
परत दर परत भी नही खुलता शख्स अब,
ईमानदार चेहरे नही सेल्फियों के ज़माने है।
सुर ताल और राग रागिनियाँ नही है अब ,
सब और योयो , बादशाह के तराने है।
शहीदों के स्मारक धूल खाते नज़र आते है,
हुक्काबार इस पीढ़ी के नए-नए ठिकाने है।

-  "राणा" ★ © #आँखों में #दहकते #ज्वाल नही ,
#फितूर-ए-#इश्क़ के #अफसाने है।
इस मुल्क में हो कैसे #क्रांति की #लहर,
यहाँ #आज़ाद छोड़ #करीना के #दीवाने है ।
परत दर परत भी नही खुलता #शख्स अब,
#ईमानदार चेहरे नही #सेल्फियों के ज़माने है।
सुर #ताल और #राग रागिनियाँ नही है अब ,
सब और #योयो , #बादशाह के #तराने है।
आँखों में दहकते ज्वाल नही ,
फितूर-ए-इश्क़ के अफसाने है।
इस मुल्क में हो कैसे क्रांति की लहर,
यहाँ आज़ाद छोड़ करीना के दीवाने है ।
परत दर परत भी नही खुलता शख्स अब,
ईमानदार चेहरे नही सेल्फियों के ज़माने है।
सुर ताल और राग रागिनियाँ नही है अब ,
सब और योयो , बादशाह के तराने है।
शहीदों के स्मारक धूल खाते नज़र आते है,
हुक्काबार इस पीढ़ी के नए-नए ठिकाने है।

-  "राणा" ★ © #आँखों में #दहकते #ज्वाल नही ,
#फितूर-ए-#इश्क़ के #अफसाने है।
इस मुल्क में हो कैसे #क्रांति की #लहर,
यहाँ #आज़ाद छोड़ #करीना के #दीवाने है ।
परत दर परत भी नही खुलता #शख्स अब,
#ईमानदार चेहरे नही #सेल्फियों के ज़माने है।
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सब और #योयो , #बादशाह के #तराने है।
rajeshsuryavansh1699

Rajesh Raana

Silver Star
Growing Creator