आईने अगर रंग छोड दें, खिडकियां अगर कुंडी तोड दें, तितलियां अगर लिबास ओढ लें, मंजिलें अगर रुख मोढ लें, अक्षर नाराज हो जाएं अगर किताबों से, ऊचे मंच रूठ जाए अगर खिताबों से, बदल जाए मानो अगर सब मंजर, कत्ल फूल करें, खुशबू छोडें खंजर, फूटकर कभी मैं भी रोलूं इस जग के आगे , छुपकर कभी मेरा भी मुस्कुराता मिले अंतर..।। #justimagine #hindipoetry #opposition #change #fiction #yqbaba #yqdidi #hindi