तुम झूठी तारीफ़ों से लबरेज़ करते हो! ऐसी कौनसी ख़बर कबरेज़ करते हो। इश्क़ सिर पे चढ़ कर बोले रंगसाज, बातों-बातों में मुझे रंगरेज़ करते हो। नैनों की मधुशाला में डूब जाता हूँ! पिलाकर जाम मुझे अंग्रेज करते हो। #कोराकाग़ज़ #उर्दुकीपाठशाला #लबरेज़ दूसरा प्रयास। #शुभरात्री : तुम झूठी तारीफ़ों से लबरेज़ करते हो! ऐसी कौनसी ख़बर कबरेज़ करते हो। #पाठकपुराण