है शफाअत कई,है रिहायत कई, उनके नाम से चल रहा है शहर, वो इंसान है या आयत कोई ? हम तो ठहरे काफिर, खुदा को कहाँ समझें, खुदा तू तो समझदार है? फिर दे तो सही राहत कोई, है इनायत कई,है रियासत कई, महल है जिनके महलों के अंदर, सुनेंगे कैसे मजलूमों की शिकायत कोई? #yqbaba #hindi #elite #poor #rich #hindipoetry #shayari