मुस्कुराती हूं आज कल फिर कमी क्या रह जाती है? शायद आज कल सिर्फ मुस्कुराती हूं खीलखि।लना भूल गई हूं चांद से बाते आज भी करती हूं फिर कमी क्या है? शायद पहले चांद से तेरे हाथ में अपना हाथ रख कर वादे करती थी अब वो चांद उन झूठे वादों की याद दिलाता है जगती तो पहले भी थी फिर बदली क्या है? शायद पहले तेरे लिए जगती थी अब तेरी वजह से जगती हूं कुछ तो कमी है तेरे जाने से सब कुछ है पर अधूरा है तेरे जाने से #NojotoQuote कुछ कमी सी रहती है