अगर मन को चोट पहुंचती है तो ये दवा ढूंढने लगता है
इलाज खुशी तलाशना भी हो सकता है और
भूलने की कोशिश कर,मन दूसरी जगह लगाना भी।
पर कभी कभी स्वभावगत, चोटिल व्यक्ति ये संतुलन चोट देने वाले को लहूलुहान कर के बनाता है।
इससे उसके अहम की जो तुष्टि होती है!!
तुम एक पत्थर उछालोगे,
हम मार मार के अधमरा कर डालेंगे।
ऐसा भी होता है संतुलन कई बार!!