वो शख़्स मेरे दिल का अब मेहमान नहीं है। और लौटकर आएगा, ये इमकान नहीं है। मंज़िल से पहले थक के साथ छोड़ गया वो.. अब ख़त्म सफ़र है, कोई सामान नहीं हैं। दिलो-जां में बसा है वो सितमगर मेरे ऐसे, कि भूलना भी तो उसे आसान नहीं है। मैं शौक से उसके लिए बर्बाद हुआ हूं.. अब इसके बाद कोई भी अरमान नहीं है। मैं उसकी मसाफ़त में निकल आया बहुत दूर.. इस राह से आगे अब बयाबान नहीं है। उसे अपनी मुहब्बत से रिहा कर दिया मैंने.. लो कह दिया मैंने वो मेरी जान नहीं है। उसने मेरी आंखों में कई ख़्वाब सजाए.. ये किसने कहा मुझपे मेहरबान नहीं है। वो कहती है वो मुझसे बिछड़ करके भी ख़ुश है.. होठों पे मगर उसके वो मुस्कान नहीं है.. कब तक मैं जलाऊं यहां अरमां की चिताऐं! दिल है मेरा आख़िर कोई शमशान नहीं है।। 🌹💐Aliem💞💞 #yqaliem #yqbhaijan #masafat #dil_k_alfaaz_ #muhabbat #rihai #khatma_end बयाबान - वीराना, wilderness मसाफ़त - सफ़र, journey. रिहा करना - आज़ाद कर ना, to make free. इमकान - संभावना, possibility