तू कागज़ की कश्ती पै होकै सवार क्यूँ लहराँ की माँग करै है, होंसला राख नीली छतरी आळे पै और कदम आगै ही आगै बढ़ाए जा फेर क्युँ तू नाकामयाबी तै डरै है। रै मिलैगी एक दिन क़ामयाबी तो तेरे हौंसले का खुलकै राज आवैगा, एकबै मेहनत का दौर चाल रया है देखिए एक दिन तेरे हिस्से मै भी ताज़ आवैगा। ©Anuj Verma #Hard #work #Time #Bicycle