जाना तो मुझे घर है, पर आज घर से ही दूर हूँ, जिस खुशियों के लिए घर छोड़ा था, आज घर जाने की खुशी में, अपना आपा खो रहा हूँ । काग़ज़ भी है, राशन कार्ड भी है, इस पेट को पालने में, ये सब घर छोड़ आया हूँ, घर उधर ही है, अब तो ना पैर दर्द हो रहे, ना तो अब भूक है, बस घर जाने की खुशी में, अपना आपा खो रहा हूँ । -Aakar गुप्ते #Hope #Baat #Soch #majdoor #Desh #Feeling #writer #hindi