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पृथ्वी, सूरज ,चाँद-सितारे, सब वही है, आज का इंसान

पृथ्वी, सूरज ,चाँद-सितारे, सब वही है, आज का इंसान अब वो नहीं है। मौसम ,दिन-रात ,समय से बदलते है, इंसान कभी भी बदल जाता है। 
जानवरों का भी खाना तय है, 
इंसान कुछ भी खा सकता है।
हवा, पानी दोनों जीवन देना नहीं भूलते, आदमी स्वार्थ में जीवन ले लेता है।
पेड़ पौधे फल फूल छाया देने में भेदभाव नहीं करते, 
आदमी जात धर्म क्षेत्रों के आधार पर अक्सर भेदभाव करता है। 
आज के युग में आदमी ही एकमात्र    प्रकृति  के नियमो का अनुसरण नहीं कर रहा है,
इसी कारण पृथ्वी पर नित नयी बिपदाएं असंख्य रूप में आ रही हैं। 
प्रकृति के नियमों का अनुसरण करें। 
***कुमार मनोज (नवीन) *** #प्रकृति का अनुसरण #मनोज#
पृथ्वी, सूरज ,चाँद-सितारे, सब वही है, आज का इंसान अब वो नहीं है। मौसम ,दिन-रात ,समय से बदलते है, इंसान कभी भी बदल जाता है। 
जानवरों का भी खाना तय है, 
इंसान कुछ भी खा सकता है।
हवा, पानी दोनों जीवन देना नहीं भूलते, आदमी स्वार्थ में जीवन ले लेता है।
पेड़ पौधे फल फूल छाया देने में भेदभाव नहीं करते, 
आदमी जात धर्म क्षेत्रों के आधार पर अक्सर भेदभाव करता है। 
आज के युग में आदमी ही एकमात्र    प्रकृति  के नियमो का अनुसरण नहीं कर रहा है,
इसी कारण पृथ्वी पर नित नयी बिपदाएं असंख्य रूप में आ रही हैं। 
प्रकृति के नियमों का अनुसरण करें। 
***कुमार मनोज (नवीन) *** #प्रकृति का अनुसरण #मनोज#