पलकें झपकती है तो आते है कई ख़याल,
ख़यालों में तेरा ज़िक्र अब आम सा हो गया है
करवट बदलते ही कुछ बेचैनी है महसूस होती,
बेचैनियों में तेरी फ़िक्र अब आम सा हो गया है
मुलायम तकिये पर होती है रातों को बूंदाबांदी,
इन रातों में तेरा साथ ना होना अब आम सा हो गया है #yqbaba#yqdidi#ख़ुद_से_लड़ना#रातों_का_जगना