धरा की जननी है, लक्ष्मी है और शिवाली है स्त्री। अगर मुश्किल पड़ जाए तो, प्रचंड काली है स्त्री। सृष्टि की कर्ता है, भर्ता है और धर्ता भी है स्त्री। अपनी लाज बचाने को, संहारकारी भी है स्त्री। ब्रह्माणी है, रूद्राणी है और कमलारानी है स्त्री। क्रोध में जो आ जाये तो, प्रलयंकारी भी है स्त्री। आदि है, अनादि है, अनंत और आनंदमयी है स्त्री। ममत्व से भरे हृदय वाली ममतामयी भी है स्त्री। "Ek Soch" # fairchallenge 7 📌दिये हुए विषय पर अपनी स्वयं की श्रेष्ठ रचना लिखिए। 📌रचना सिर्फ 6 से 8 पंक्तियां में होनी चाहिए। 📌अपनी रचना मे #gurumasdisciple टैग लगाकर पोस्ट करें।