#OpenPoetry *क्या हु में * 1 लोग हँसते है मुह पे लोगो को हँसाता हु में कोंन जाने अपने अंदर कितना दर्द छुपाता हु में मंज़िल एक रास्ते हज़ार है फिर भी सही रास्ते पे चलता हूं में बवंडर होते है मन मे पर हर हाल में खुद को संभालता हु में रूठ जाते है लोग मनाने की कोशिश करता हु में जो बोल दे एक बार उसे मुड़कर भी नही देखता हूं में कोंन है जो कहे मुझे तुझे समझता हूं में दुनिया जूठी मेरा अपना तो बस हु में @Suresh._.Daiya.inl