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!! वैदेही वनवास !! जनक-नन्दिनी ने दृग में आते ऑंस

!! वैदेही वनवास !!

जनक-नन्दिनी ने दृग में आते ऑंसू को रोक कहा।

प्राणनाथ सब तो सह लूँगी क्यों जाएगा विरह सहा॥

सदा आपका चन्द्रानन अवलोके ही मैं जीती हूँ।

रूप-माधुरी-सुधा तृषित बन चकोरिका सम पीती हूँ॥22॥

बदन विलोके बिना बावले युगल-नयन बन जाएँगे।

तार बाँध बहते ऑंसू का बार-बार घबराएँगे॥

मुँह जोहते बीतते बासर रातें सेवा में कटतीं।

हित-वृत्तियाँ सजग रह पल-पल कभी न थीं पीछे हटतीं॥23॥
 :💕👨 Good evening ji
☕☕☕☕☕☕🍉🍉🍉🍫🍫🐒🐒🐒🐒🐒
: आज की चाय के साथ "सीता जी के वनवास"पर चर्चा करेंगे जिसका प्रेरण मुझे
#shweta mishra जी
#deepika prajapati ji
#komal sharma ji
जी से मिला मैं उस बर्तालाप को थोड़ा और बढ़ाकर...
अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिऔध" जी की रचना
!! वैदेही वनवास !!

जनक-नन्दिनी ने दृग में आते ऑंसू को रोक कहा।

प्राणनाथ सब तो सह लूँगी क्यों जाएगा विरह सहा॥

सदा आपका चन्द्रानन अवलोके ही मैं जीती हूँ।

रूप-माधुरी-सुधा तृषित बन चकोरिका सम पीती हूँ॥22॥

बदन विलोके बिना बावले युगल-नयन बन जाएँगे।

तार बाँध बहते ऑंसू का बार-बार घबराएँगे॥

मुँह जोहते बीतते बासर रातें सेवा में कटतीं।

हित-वृत्तियाँ सजग रह पल-पल कभी न थीं पीछे हटतीं॥23॥
 :💕👨 Good evening ji
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: आज की चाय के साथ "सीता जी के वनवास"पर चर्चा करेंगे जिसका प्रेरण मुझे
#shweta mishra जी
#deepika prajapati ji
#komal sharma ji
जी से मिला मैं उस बर्तालाप को थोड़ा और बढ़ाकर...
अयोध्या सिंह उपाध्याय "हरिऔध" जी की रचना