और क्या डूबते की मंज़िल है! रात ही दिन ढले की मंज़िल है! ज़ीस्त जिस रास्ते में पड़ती है! मौत उस रास्ते की मंज़िल है! आदमी ख़ुद को भूल जाता है! इश्क़ उस हादसे की मंज़िल है! # akib khan# ©Azeem Khan #akib khan# प्रियंका गुप्ता (गुड़िया)