हिचकियों का सिलसिला मुसलसल यूँ चला सांसों में ख्यालों का ख़लल हो यूँ पड़ा दे थपकियाँ मेहताब भी परेशां हो चला इक दौर करवटों का शब तलक़ यूँ चला अज़ाब ही हुआ जो दौर-ए-इज़्तिराब हो चला शम्मा भी जलके बुझ गयी शब-ए-फ़िराक यूँ चला ©Dr Shefali Sharma हिचकियों का सिलसिला मुसलसल यूँ चला सांसों में ख्यालों का ख़लल हो यूँ पड़ा मेहताब-चाँद मुसलसल-लगातार दौर-ए-इज़्तिराब-बेचैनियों का दौर शब-ए फ़िराक-जुदाई की रात #जुदाई #शायरी #love #lovestory