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एक घटना एक कविता बन गई! vidyarthi की कलम से 🌷डियर

एक घटना एक कविता बन गई! vidyarthi की कलम से
🌷डियर Lovely डियर🌷
❤❤❤❤❤❤❤❤

तारीख था 25 जुलाई  सावन 2023,  दिन था मंगलवार! 
सुबह सुहावन का समय निकल पड़ा था,स्कूल की ओर यार! ! 
कानों मे ब्लू टूथ लगाए हुए , सुन रहा था नगमे सदाबहार! 
 कई  शिक्षक साथी भी थे संग मे ,चलती बस गाड़ी मे सवार!! 

एका-एक एक हसीन प्यारी सी खूबसूरत हिरण पे नजर पड़ी! 
मासूम चेहरा उदास नयन कुछ बेचैन सी सड़क किनारे थी खड़ी!
शायद वो भीड़ --भड़कं   अंजान सड़क पार करना चाहती थी! 
उछल कूद छलाँग लगाकर मंजिल को साकार करना चाहती थी! 

मानो तड़प रही थी,     कुछ पाने के वास्ते सपनो के लिए! 
लग रहा था कुछ गुम हुआ हो, उसका सफर मे अपनों के लिए!
: पर कोई न कोई गाड़ी राहों मे, रोड़ा बनकर आ जा रही थी
 ऐसा लगा अच्छे वक़्त खाली रास्तो का इंतेजार कर रही थी! ! 

थोड़े ही देर उसे देखकर मन मे कई सवालों का अंबार होने लगा! 
मेरा दिल भी स्तभद् ,अशांत   बेचैन और बेकरार होने लगा!! 
जैसे ही मेरी गाड़ी हॉर्न बजाते थोड़ा आगे बढ़ी वो अदृश्य हों गई! 
विद्यालय पहुँचने तक मेरी कल्पनाओ मे एक चित्रतमक दृश्य हो गई! ! 

पूरे दिन दिल -दिमाग मे बैठी रही मन मे सिर्फ वही दिख रही थी! 
सोचा कहीं ये विद्यार्थी की विद्या तो नही जो अजीब सीख दे रही थी! 
कसम से दो दिन उसके बारे मे अजीब सुहाने जन्नत का सपने भी देखा! 
जिसमे वो मुझे घुमा रही थी अपने सगे संबंधियों से मिलवा रही थी !! 

मानो वो मुझे अपना  हमदर्द बना रही हों मुझे से कुछ कहना चाह रही हों! 
सुख दुख हमसे बांट रही हों,खुसियाँ  चैन मोहब्बत की प्यारी बूंद बरसा रही हों
ये न कोई बनावटी,कहानी, गीत, कविता थी और नही कोई कल्पना थी!
ये विद्यार्थी की आशा प्रकाश की परिभाषा एक आँखोंदेखी सच्ची घटना थी!!!

✍️✍️#@Vidyarthi.. ✍️✍️

©Prakash Vidyarthi #kavita #thought_of_the_day #poem✍🧡🧡💛 #lyrics
एक घटना एक कविता बन गई! vidyarthi की कलम से
🌷डियर Lovely डियर🌷
❤❤❤❤❤❤❤❤

तारीख था 25 जुलाई  सावन 2023,  दिन था मंगलवार! 
सुबह सुहावन का समय निकल पड़ा था,स्कूल की ओर यार! ! 
कानों मे ब्लू टूथ लगाए हुए , सुन रहा था नगमे सदाबहार! 
 कई  शिक्षक साथी भी थे संग मे ,चलती बस गाड़ी मे सवार!! 

एका-एक एक हसीन प्यारी सी खूबसूरत हिरण पे नजर पड़ी! 
मासूम चेहरा उदास नयन कुछ बेचैन सी सड़क किनारे थी खड़ी!
शायद वो भीड़ --भड़कं   अंजान सड़क पार करना चाहती थी! 
उछल कूद छलाँग लगाकर मंजिल को साकार करना चाहती थी! 

मानो तड़प रही थी,     कुछ पाने के वास्ते सपनो के लिए! 
लग रहा था कुछ गुम हुआ हो, उसका सफर मे अपनों के लिए!
: पर कोई न कोई गाड़ी राहों मे, रोड़ा बनकर आ जा रही थी
 ऐसा लगा अच्छे वक़्त खाली रास्तो का इंतेजार कर रही थी! ! 

थोड़े ही देर उसे देखकर मन मे कई सवालों का अंबार होने लगा! 
मेरा दिल भी स्तभद् ,अशांत   बेचैन और बेकरार होने लगा!! 
जैसे ही मेरी गाड़ी हॉर्न बजाते थोड़ा आगे बढ़ी वो अदृश्य हों गई! 
विद्यालय पहुँचने तक मेरी कल्पनाओ मे एक चित्रतमक दृश्य हो गई! ! 

पूरे दिन दिल -दिमाग मे बैठी रही मन मे सिर्फ वही दिख रही थी! 
सोचा कहीं ये विद्यार्थी की विद्या तो नही जो अजीब सीख दे रही थी! 
कसम से दो दिन उसके बारे मे अजीब सुहाने जन्नत का सपने भी देखा! 
जिसमे वो मुझे घुमा रही थी अपने सगे संबंधियों से मिलवा रही थी !! 

मानो वो मुझे अपना  हमदर्द बना रही हों मुझे से कुछ कहना चाह रही हों! 
सुख दुख हमसे बांट रही हों,खुसियाँ  चैन मोहब्बत की प्यारी बूंद बरसा रही हों
ये न कोई बनावटी,कहानी, गीत, कविता थी और नही कोई कल्पना थी!
ये विद्यार्थी की आशा प्रकाश की परिभाषा एक आँखोंदेखी सच्ची घटना थी!!!

✍️✍️#@Vidyarthi.. ✍️✍️

©Prakash Vidyarthi #kavita #thought_of_the_day #poem✍🧡🧡💛 #lyrics