गिरे हैं समर में, फिर उठ दौड़ना है, समर जिंदगी से है मौत को पीछे छोडना है, शावक हैं सिंह के बकरी के बच्चे नहीं, हमें लड़ना है हर हाल में घावों को पीछे छोड़ना है।। #अंकित सारस्वत# #समर