प्रारब्ध की बात है, उपलब्ध हो न हो। तुम्हें पाके ये मरता - बुत, स्तब्ध हो न हो। जैसे सांप सूंघ गया हो, आस्तीन तो है, तुम क्या हो - सांप ! दूध पिलाना,नाग- पंचमी, तुम पर मन यूं लुब्ध हो न हो। ©BANDHETIYA OFFICIAL #प्रारब्ध ! #kitaabein