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प्रारब्ध की बात है, उपलब्ध हो न हो। तुम्हें पाके य

प्रारब्ध की बात है,
उपलब्ध हो न हो।
तुम्हें पाके ये मरता -
बुत, स्तब्ध हो न हो।
जैसे सांप सूंघ गया हो,
आस्तीन तो है, तुम क्या हो -
सांप ! दूध पिलाना,नाग- पंचमी,
तुम पर मन यूं लुब्ध हो न हो।

©BANDHETIYA OFFICIAL #प्रारब्ध !

#kitaabein
प्रारब्ध की बात है,
उपलब्ध हो न हो।
तुम्हें पाके ये मरता -
बुत, स्तब्ध हो न हो।
जैसे सांप सूंघ गया हो,
आस्तीन तो है, तुम क्या हो -
सांप ! दूध पिलाना,नाग- पंचमी,
तुम पर मन यूं लुब्ध हो न हो।

©BANDHETIYA OFFICIAL #प्रारब्ध !

#kitaabein