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कभी सोचती हूं खुद पर लिखूं कभी सोचती हूं समाज पर ल

कभी सोचती हूं खुद पर लिखूं कभी सोचती हूं समाज पर लिखूं कभी सोचती हूं अपनी व्यथा बताऊं कभी सोचती हूं समाज की गाथा बताओ चारों तरफ देखती हूं तो दुख परेशानी दिखती है 
कहीं अति है तो कहीं कमी है 
कोई प्रेम में डूबा है उसको किसी की खबर नहीं कोई गरीबी भुखमरी से मरता है पर जिनके पास है वह अपने में मस्त हैं कभी सोचूं की एक आवाज उठाई जाए समाज में एक लहर दौड़ाई जाए पर युगो युगो से युद्ध होते आए हैं इस पृथ्वी पर और एक चीज है जो थामे रखी है इस पृथ्वी को 
इस पृथ्वी की करुणा 
भगवान की हम लोगों पर कृपा 
वह ईश्वर चारों तरफ है
 किसी चीज की भी अति होती
 तो प्रकृति उसको अपने आप ही खत्म कर देती है जिस तरह पेड़ से पुराने पत्ते गिर कर मिट्टी में समा जाते हैं उसी तरह नकारात्मकता भी एक सीमा के बाद खत्म हो जाती है और सकारात्मकता से दुनिया महक उठती है यह जीवन नकारात्मकता और सकारात्मकता का मेलजोल है यह परस्पर चलता ही रहेगा युगो युगो से चलता है और जब तक यह पृथ्वी रहेगी तब तक यह सकारात्मकता और नकारात्मकता आपस में तालमेल चलता ही रहेगा इन सब चीज के बीच बस यही है कि हमें उस परमपिता उस ईश्वर जो चारों तरफ है उसकी शक्ति को महसूस करना चाहिए
 ईश्वर हम में तुम में और हर जगह व्याप्त है #god कभी सोचती हूं खुद पर लिखूं कभी सोचती हूं समाज पर लिखूं कभी सोचती हूं अपनी व्यथा बताऊं कभी सोचती हूं समाज की गाथा बताओ चारों तरफ देखती हूं तो दुख परेशानी दिखती है 
कहीं अति है तो कहीं कमी है 
कोई प्रेम में डूबा है उसको किसी की खबर नहीं कोई गरीबी भुखमरी से मरता है पर जिनके पास है वह अपने में मस्त हैं कभी सोचूं की एक आवाज उठाई जाए समाज में एक लहर दौड़ाई जाए पर युगो युगो से युद्ध होते आए हैं इस पृथ्वी पर और एक चीज है जो थामे रखी है इस पृथ्वी को 
इस पृथ्वी की करुणा 
भगवान की हम लोगों पर कृपा 
वह ईश्वर चारों तरफ है
 किसी चीज की भी अति होती
 तो प्रकृति उसको अपने आप ही खत्म कर देती है जिस तरह पेड़ से पुराने पत्ते गिर कर मिट्टी में समा जाते हैं उसी तरह नकारात्मकता भी एक सीमा के बाद खत्म हो जाती है और सकारात्मकता से दुनिया महक उठती है यह जीवन नकारात्मकता और सकारात्मकता का मेलजोल है यह परस्पर चलता ही रहेगा युगो युगो से चलता है और जब तक यह पृथ्वी रहेगी तब तक यह सकारात्मकता और नकारात्मकता आपस में तालमेल चलता ही रहेगा इन सब चीज के बीच बस यही है कि हमें उस परमपिता उस ईश्वर जो चारों तरफ है उसकी शक्ति को महसूस करना चाहिए
कभी सोचती हूं खुद पर लिखूं कभी सोचती हूं समाज पर लिखूं कभी सोचती हूं अपनी व्यथा बताऊं कभी सोचती हूं समाज की गाथा बताओ चारों तरफ देखती हूं तो दुख परेशानी दिखती है 
कहीं अति है तो कहीं कमी है 
कोई प्रेम में डूबा है उसको किसी की खबर नहीं कोई गरीबी भुखमरी से मरता है पर जिनके पास है वह अपने में मस्त हैं कभी सोचूं की एक आवाज उठाई जाए समाज में एक लहर दौड़ाई जाए पर युगो युगो से युद्ध होते आए हैं इस पृथ्वी पर और एक चीज है जो थामे रखी है इस पृथ्वी को 
इस पृथ्वी की करुणा 
भगवान की हम लोगों पर कृपा 
वह ईश्वर चारों तरफ है
 किसी चीज की भी अति होती
 तो प्रकृति उसको अपने आप ही खत्म कर देती है जिस तरह पेड़ से पुराने पत्ते गिर कर मिट्टी में समा जाते हैं उसी तरह नकारात्मकता भी एक सीमा के बाद खत्म हो जाती है और सकारात्मकता से दुनिया महक उठती है यह जीवन नकारात्मकता और सकारात्मकता का मेलजोल है यह परस्पर चलता ही रहेगा युगो युगो से चलता है और जब तक यह पृथ्वी रहेगी तब तक यह सकारात्मकता और नकारात्मकता आपस में तालमेल चलता ही रहेगा इन सब चीज के बीच बस यही है कि हमें उस परमपिता उस ईश्वर जो चारों तरफ है उसकी शक्ति को महसूस करना चाहिए
 ईश्वर हम में तुम में और हर जगह व्याप्त है #god कभी सोचती हूं खुद पर लिखूं कभी सोचती हूं समाज पर लिखूं कभी सोचती हूं अपनी व्यथा बताऊं कभी सोचती हूं समाज की गाथा बताओ चारों तरफ देखती हूं तो दुख परेशानी दिखती है 
कहीं अति है तो कहीं कमी है 
कोई प्रेम में डूबा है उसको किसी की खबर नहीं कोई गरीबी भुखमरी से मरता है पर जिनके पास है वह अपने में मस्त हैं कभी सोचूं की एक आवाज उठाई जाए समाज में एक लहर दौड़ाई जाए पर युगो युगो से युद्ध होते आए हैं इस पृथ्वी पर और एक चीज है जो थामे रखी है इस पृथ्वी को 
इस पृथ्वी की करुणा 
भगवान की हम लोगों पर कृपा 
वह ईश्वर चारों तरफ है
 किसी चीज की भी अति होती
 तो प्रकृति उसको अपने आप ही खत्म कर देती है जिस तरह पेड़ से पुराने पत्ते गिर कर मिट्टी में समा जाते हैं उसी तरह नकारात्मकता भी एक सीमा के बाद खत्म हो जाती है और सकारात्मकता से दुनिया महक उठती है यह जीवन नकारात्मकता और सकारात्मकता का मेलजोल है यह परस्पर चलता ही रहेगा युगो युगो से चलता है और जब तक यह पृथ्वी रहेगी तब तक यह सकारात्मकता और नकारात्मकता आपस में तालमेल चलता ही रहेगा इन सब चीज के बीच बस यही है कि हमें उस परमपिता उस ईश्वर जो चारों तरफ है उसकी शक्ति को महसूस करना चाहिए
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