रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए ©Kusum Nishad रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं तो अपने वाला यार